Tuesday 16 August 2022

प्रेमचंद जयंती 31 जुलाई 2022

 प्रेमचंद जयंती 31 जुलाई 2022



जीवन परिचय 



जन्मदिन कार्ड बनाना 

कहानी वाचन 



उभरता हुआ लेखक 
कहानी लेखन 




हिन्दी, बहुत खुबसूरत भाषाओं मे से एक है . हिन्दी एक ऐसा विषय है जो, हर किसी को अपना लेती है अर्थात्, सरल के लिये बहुत सरल और, कठिन के लिये बहुत कठिन बन जाती है . हिन्दी को हर दिन ,एक नया रूप, एक नई पहचान देने वाले थे, उसके साहित्यकार उसके लेखक . उन्ही मे से, एक महान छवि थी मुंशी प्रेमचंद की , वे एक ऐसी प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी थे, जिसने हिन्दी विषय की काया पलट दी . वे एक ऐसे लेखक थे जो, समय के साथ बदलते गये और , हिन्दी साहित्य को आधुनिक रूप प्रदान किया . मुंशी प्रेमचंद ने सरल सहज हिन्दी को, ऐसा साहित्य प्रदान किया जिसे लोग, कभी नही भूल सकते . बड़ी कठिन परिस्थियों का सामना करते हुए हिन्दी जैसे, खुबसूरत विषय मे, अपनी अमिट छाप छोड़ी . मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के लेखक ही नही बल्कि, एक महान साहित्यकार, नाटककार, उपन्यासकार जैसी, बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे .

prem chand

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (Munshi Premchand biography in hindi)

विषयजानकारिया
नाममुंशी प्रेमचंद
पूरा नामधनपत राय
जन्म31 जुलाई 1880
जन्म स्थलवाराणसी के लमही गाँव मे हुआ था .
मृत्यु8 अक्टूबर 1936
पिताअजायब राय
माताआनंदी देवी
भाषाहिन्दी व उर्दू
राष्ट्रीयताहिन्दुस्तानी
प्रमुख रचनायेगोदान, गबन


आगे हम मुंशी प्रेमचंद जी के, सुन्दर व्यक्तित्व और सम्पूर्ण जीवन का वर्णन करेंगे .

मुंशी प्रेमचंद जी की जीवनी (Munshi Premchand Jeevani)

31 जुलाई 1880 को , बनारस के एक छोटे से गाँव लमही मे, जहा प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था . प्रेमचंद जी एक छोटे और सामान्य परिवार से थे . उनके दादाजी गुर सहाय राय जोकि, पटवारी थे और पिता अजायब राय जोकि, पोस्ट मास्टर थे . बचपन से ही उनका जीवन बहुत ही, संघर्षो से गुजरा था . जब प्रेमचंद जी महज आठ वर्ष की उम्र मे थे तब, एक गंभीर बीमारी मे, उनकी माता जी का देहांत हो गया .

बहुत कम उम्र मे, माताजी के देहांत हो जाने से, प्रेमचंद जी को, बचपन से ही माता–पिता का प्यार नही मिल पाया . सरकारी नौकरी के चलते, पिताजी का तबादला गौरखपुर हुआ और, कुछ समय बाद पिताजी ने दूसरा विवाह कर लिया . सौतेली माता ने कभी प्रेमचंद जी को, पूर्ण रूप से नही अपनाया . उनका बचपन से ही हिन्दी की तरफ, एक अलग ही लगाव था . जिसके लिये उन्होंने स्वयं प्रयास करना प्रारंभ किया, और छोटे-छोटे उपन्यास से इसकी शुरूवात की . अपनी रूचि के अनुसार, छोटे-छोटे उपन्यास पढ़ा करते थे . पढ़ने की इसी रूचि के साथ उन्होंने, एक पुस्तकों के थोक व्यापारी के यहा पर, नौकरी करना प्रारंभ कर दिया .

जिससे वह अपना पूरा दिन, पुस्तक पढ़ने के अपने इस शौक को भी पूरा करते रहे . प्रेमचंद जी बहुत ही सरल और सहज स्वभाव के, दयालु प्रवत्ति के थे . कभी किसी से बिना बात बहस नही करते थे, दुसरो की मदद के लिये सदा तत्पर रहते थे . ईश्वर के प्रति अपार श्रध्दा रखते थे . घर की तंगी को दूर करने के लिये, सबसे प्रारंभ मे एक वकील के यहा, पांच रूपये मासिक वेतन पर नौकरी की . धीरे-धीरे उन्होंने खुद को हर विषय मे पारंगत किया, जिसका फायदा उन्हें आगे जाकर मिला ,एक अच्छी नौकरी के रूप मे मिला . और एक मिशनरी विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप मे, नियुक्त किये गये . हर तरह का संघर्ष उन्होंने, हँसते – हँसते किया और अंत मे, 8 अक्टूबर 1936 को अपनी अंतिम सास ली .


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